महा सती
जसोदा बेन
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भारतीय संस्कृति व इतिहास में श्रीमती जसोदा बेन जैसी त्यागमयी नारी का प्रतिरूप दृस्टि गोचर नही होता है। यदि किसी से तुलना का प्रयास किया जाये तो राम चरित मानस में देवी उर्मिला का चरित्र ,जिसने चौदह वर्ष श्री लक्छमण की प्रतिछा में गुजर दिए। श्रीमती जशोदाबेन ने विवाह के पश्चात लगभग पैतालिश सालों से वियोगनी का जीवन गुजार रही है।इतिहासः में तो पति के देहान्त पर नारी सती होती रही है परन्तु जसोदा बेन अभी भी वियोग की अग्नि में तिल -तिल कर सुलग रही है.उन्हें अपने पति -परमेश्वर से कोई शिकायत नही है। वह मोदी की उन्नति के लिए व्रत -पूजा व तीर्थाटन कर उनकी प्रगति की आकांछा में जीवन व्यतीत कर रही है।
यह सत्य है कि मोदी ने देश सेवा के नाम पर राजनैतिक महत्वाकाझा ओ के चलते अपनी धर्मपत्नी को अलविदा कह दिया। यह मोदी के जीवन का काला अध्याय है। उन्होंने अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाहन नही किया। हिन्दू संस्कृति के रझक ने ही संस्कृति की अवेलहना की है। धर्म के अनुसार प्रत्येक गृहस्थ मानव को अपने पिरत -रीड़ से मुक्त होना चाहिये। गुजरात की पावन धरती पर जन्में राष्ट्र -पिता महात्मा गांधी ने सपत्नीक राष्ट्र सेवा धर्म का पालन किया। ईमानदारी के प्रतीक श्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ स्वाधीनता संग्राम में व राष्ट्र -सेवा में अपना योगदान दिया। यह भी महा -मानव नरेन्द्र दामोदर मोदी की तरह साधारण परिवार से आगे आये थे।
मानवीय सवेदनशीलता की अंतर -ध्वनि में जसोदा बेन का नाम इतिहासः में सम्मान अदब और उछावास के साथ जरूर परमाडित किया जायेगा। उनका असीम त्याग ;मोदी के प्रति सद्भावना भारतीय पति व्रता नारी की एक मिशाल है। श्री मैथलीशरण गुप्त दवरा रचित काव्य ! साकेत
जसोदा बेन
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भारतीय संस्कृति व इतिहास में श्रीमती जसोदा बेन जैसी त्यागमयी नारी का प्रतिरूप दृस्टि गोचर नही होता है। यदि किसी से तुलना का प्रयास किया जाये तो राम चरित मानस में देवी उर्मिला का चरित्र ,जिसने चौदह वर्ष श्री लक्छमण की प्रतिछा में गुजर दिए। श्रीमती जशोदाबेन ने विवाह के पश्चात लगभग पैतालिश सालों से वियोगनी का जीवन गुजार रही है।इतिहासः में तो पति के देहान्त पर नारी सती होती रही है परन्तु जसोदा बेन अभी भी वियोग की अग्नि में तिल -तिल कर सुलग रही है.उन्हें अपने पति -परमेश्वर से कोई शिकायत नही है। वह मोदी की उन्नति के लिए व्रत -पूजा व तीर्थाटन कर उनकी प्रगति की आकांछा में जीवन व्यतीत कर रही है।
यह सत्य है कि मोदी ने देश सेवा के नाम पर राजनैतिक महत्वाकाझा ओ के चलते अपनी धर्मपत्नी को अलविदा कह दिया। यह मोदी के जीवन का काला अध्याय है। उन्होंने अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाहन नही किया। हिन्दू संस्कृति के रझक ने ही संस्कृति की अवेलहना की है। धर्म के अनुसार प्रत्येक गृहस्थ मानव को अपने पिरत -रीड़ से मुक्त होना चाहिये। गुजरात की पावन धरती पर जन्में राष्ट्र -पिता महात्मा गांधी ने सपत्नीक राष्ट्र सेवा धर्म का पालन किया। ईमानदारी के प्रतीक श्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ स्वाधीनता संग्राम में व राष्ट्र -सेवा में अपना योगदान दिया। यह भी महा -मानव नरेन्द्र दामोदर मोदी की तरह साधारण परिवार से आगे आये थे।
मानवीय सवेदनशीलता की अंतर -ध्वनि में जसोदा बेन का नाम इतिहासः में सम्मान अदब और उछावास के साथ जरूर परमाडित किया जायेगा। उनका असीम त्याग ;मोदी के प्रति सद्भावना भारतीय पति व्रता नारी की एक मिशाल है। श्री मैथलीशरण गुप्त दवरा रचित काव्य ! साकेत
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