गुडगाँव एक औद्योगिक नगर है। यहाँ के रहने वाले निवासियो के पास अपने अपने वाहन है। मोटे मोटे अनुमान के अनुसार ४५ % नागरिकों के पास , कार -जीप , मोटरसाइकिल, स्कूटर , साइकिल अदि है। चौड़ी -चौड़ी सड़कको पर दिन रात तेज गति से वाहन चलते रहते है। ऐसे में ५५ % जनता के पास चलने के लिए फुटपाथ ही बचता है।
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चित्र १ |
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चिर २ |
चित्रों के माध्यम से हमने यह दिखने कि कोशिश की है कि गुडगाव में फुटपाथों की दशा कितनी दयनिय है। चित्र १ में दिखिये वज़ीराबाद चौराहे के पास कूड़ादान रखा है। उसके साथ ही एक पान कि गुमटी फुट्पाथ पर आबाद है। पैदल चलने वाले को मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ेगा। चित्र २ में देखिये कि एक खम्बा फुट्पाथ पर लेटा आराम फरमा रहा है , इसे शायद बिजली विभाग या गैस पाइप लाइन बिछाने वाले लोगों ने को यहाँ रखा होगा। अँधेरे में पैदल चलने वाला इससे टकरा कर घायल होगा। चित्र ३ में देखिये फुट्पाथ पर बजरी-मोरंग स्टोर किया गया है , पता नहीं किस विभाग कि मेहरबानी है। चित्र ४ में देखिये कि होंग कॉंग मॉल के समीप मुख्य सड़क के फुटपाथ पर कूड़ादान भी किसी विभाग कि कृपा है। चित्र ५ में देखिये, ड्रेनेज के लिए फूटपाथ को खोदा गया, सिस्टम को बनाया गया फिर काफी समय से खुला छोढ़ दिया गया। रात्र में कभी भी दुर्घटना सम्भावित है।
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चित्र ३ |
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चित्र ५ |
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चित्र ५ |
हम इस आलेख के माध्यम से हुड़ा प्रसाशन से निवेदन करना चाहते है कि जगह जगह फुटपाथ पर नाजायज़ कब्ज़ा जमाये लोगो को अन्य स्थान पर विस्थापित करे। ताकि हम जैसे फुटपाथ के राही को सड़क पर तेज भागती कारो से बचने के लिए ठीक थाक फुट्पाथ उपलब्ध हो सके। आये दिन लोग दुर्घटना का शिकार हो जीवन से हाथ धो बैठते है। कुछ लोग तो फुट्पाथ को पार्किंग कि तरह इस्तेमाल करते है। कुछ तो अपनी दूकाने सजा कर पैदल चलने वोलो का चलना दुर्भर कर देते है। इन सबको रोकना प्रशासन कि ज़िम्मेवारी तो है। कम से कम इन लोगो को भी सोचना चाहिये कि वे ऐसा कोई अवरोध उतपन्न न करें।
हम, सूश्री सुप्रभा दहिया , हुडा प्रशासक का ध्यान विशेष रूप से दिलाना चाहते है। दैनिक जागरण दिल्ली के पृठ नंबर ५ (दिनांक ०९-११-१३) में एक समाचार छापा है
"हाई कोर्ट ने कहा , सड़को पर बने साइकिल ट्रैक" हरियाणा व पंजाब केहाईकोर्ट जस्टिस, राजीव भल्ला ने सड़क सुरक्षा के मामले की सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। फुटपाथों पर नागरिक , सुविधा और सुरक्षा के साथ चल सके ऐसी व्यस्था होनी चाहिए।
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