सवेदनहीनता
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सवेदनहीनता हमारे समाज में प्रमुख रूप से घर करती जा रही है। दिल्ली में भी निर्भया -काण्ड में दामनी और उसका साथी काफी देर से घायल पड़े थे। लोग -बाग देखते और आगे बढ़ जाते। इसके पीछे प्रमुख कारण है कि पुलिसः की पूछ -ताछ और उनकी उलझाऊ प्रक्रिया में लोग नही फसना चाहते है। इससे यह होता है कि चाह कर भी प्राया लोग मदद नही कर पाते। दामनी भी काफी समय बिना कपड़ो के कराहती रही यदि यथा शीर्घ सहायता मिल जाती तो सम्भव है कि वह आज जिन्दा होती। मोहनलालगंज में भी युवती नग्न अवस्था में थी तमाम तमाशबीनों ने व् पुलिसः ने फोटो खींचे परन्तु अविलम्ब कफ़न नही दिया जा सका। इसके लिए हमारी मानसिकता दोषी है। खबरे यहाँ तक है कि पुलिसः ढँके शव से कपड़ा हटा कर फोटो -सेसन की भागीदार है। जोकि बहुत निन्दनीय कार्य है सत्यता है कि शव नग्न था। पीड़ित को क्या फर्क पड़ता है। हमाम में सभी नग्न है लेकिन खुलेआम कोई प्रदर्शन नही करता। कहा भी गया है "सत्यं वद -प्रिय वद।
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सवेदनहीनता हमारे समाज में प्रमुख रूप से घर करती जा रही है। दिल्ली में भी निर्भया -काण्ड में दामनी और उसका साथी काफी देर से घायल पड़े थे। लोग -बाग देखते और आगे बढ़ जाते। इसके पीछे प्रमुख कारण है कि पुलिसः की पूछ -ताछ और उनकी उलझाऊ प्रक्रिया में लोग नही फसना चाहते है। इससे यह होता है कि चाह कर भी प्राया लोग मदद नही कर पाते। दामनी भी काफी समय बिना कपड़ो के कराहती रही यदि यथा शीर्घ सहायता मिल जाती तो सम्भव है कि वह आज जिन्दा होती। मोहनलालगंज में भी युवती नग्न अवस्था में थी तमाम तमाशबीनों ने व् पुलिसः ने फोटो खींचे परन्तु अविलम्ब कफ़न नही दिया जा सका। इसके लिए हमारी मानसिकता दोषी है। खबरे यहाँ तक है कि पुलिसः ढँके शव से कपड़ा हटा कर फोटो -सेसन की भागीदार है। जोकि बहुत निन्दनीय कार्य है सत्यता है कि शव नग्न था। पीड़ित को क्या फर्क पड़ता है। हमाम में सभी नग्न है लेकिन खुलेआम कोई प्रदर्शन नही करता। कहा भी गया है "सत्यं वद -प्रिय वद।
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