लखनऊ के शहीद पथ पर दिनांक 13 जून से 29 जुलाई तक सात गंम्भीर दुर्घटनायें हुई। यह कुछ सोचने के लिए बाध्य करती है।
वरना शहीद हो जाओगेँ *************
हादसों का पथ है शहीद पथ,
जरा चलना सभ्भल के,
वरना शहीद हो जाओगे।
घर में राह देखेगी आपकी,
माँ बहिने,
तुम अपनों से राह में
बिछुड़ जाओगे।
मना लो मातम,अपनों की
मौत का चाहे जितना,
राह की कमियों से न जीत पाओगे।
रास्ते जाम तुम करो चाहे जितना
ये सरकार है !
इसको न बदल पाओगे।
वरना शहीद हो जाओगेँ *************
हादसों का पथ है शहीद पथ,
जरा चलना सभ्भल के,
वरना शहीद हो जाओगे।
घर में राह देखेगी आपकी,
माँ बहिने,
तुम अपनों से राह में
बिछुड़ जाओगे।
मना लो मातम,अपनों की
मौत का चाहे जितना,
राह की कमियों से न जीत पाओगे।
रास्ते जाम तुम करो चाहे जितना
ये सरकार है !
इसको न बदल पाओगे।
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