पूरे मन से
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कारे -कारे -भूरे -भूरे बदरा आये ,झूम -झूम के बरसे।
अभी बहुत खेत है सूखे , पावन ,शीतल जल को तरसे।
नीलभ गगन यूँ दिखता है ,छुछ i हो जैसे वह जल से।
मेंघो को आमंत्रण है ,बरसे धरा पर पूरे मन से।
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कारे -कारे -भूरे -भूरे बदरा आये ,झूम -झूम के बरसे।
अभी बहुत खेत है सूखे , पावन ,शीतल जल को तरसे।
नीलभ गगन यूँ दिखता है ,छुछ i हो जैसे वह जल से।
मेंघो को आमंत्रण है ,बरसे धरा पर पूरे मन से।
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