न बदली है सोच ,न बदला है नजरिया।
कुछ आदमी है गिद्ध ,कुछ है भेड़िया।
जिन लोगो ने दामिनी को मौत ,
देने में न की थी कोई कोताही।
हाई कोर्ट में क्यों अबतक,
धीरे -धीरे चल रही सुनवाई।
एक नाबालिग क्रूरतम वहशी ,
दरिन्दा बच निकला।
उसे सजा मौत की ,
न मिल पाई।
हुये कितने स्वता :स्फूर्त जन -आन्दोलन।
दशा आज भी न देश की बदल पाई। .
भटक रही है आत्मा "निर्भया "की ,
अभी उसे न मुक्ति मिल पाई। .
एक ने तो ले लिया था ,
मौत को अपने आगोश में ,
अभी चार को ,
जालिम मौत नही आयी।
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