हार से हताश,
होने की जरूरत नही।
जितना खो चुके है हम,
उसपर रोना नही।
गिर -गिर के जो उठता,
है वीर सेनानी वही।
सोच लो आज से तुम,
सब गलत है,
केवल हम है सही।
करे न करे,छोड़ दो
इस सोच को।
रहो अनुशासन में सदा,
अब गुटबाज़ी नही।
दस वर्षो के विकास को,
जनता के मध्य,
बखानो तो सही।
दो हजार चौ दा के समर में
नाव कांग्रेसः की उबारो तो सही।
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