Sunday, December 15, 2013

पालतू श्वान बनाम सड़क के कुत्ते


प्रात :काल  6  बजे टहलने  के  लिये  घर  से  निकला। घन -घोर  तिमिर  फैला  हुआ था। सड़क  के प्रकाश  केंद्र  टिम -टीमा  रहे  थे। सड़क  सूनसान थी। यदा -कदा  कोई  साइकिल  सवार  पास  से  गुजर  जाता  था। खरामा -खरामा चलता हुआ आधे -घंटे  में  पार्क  पहुँचा। प्रकाश  खिलने  को प्रयास रत  था। समस्त  वातावरण  ने  कोहरे  की  चादर  लपेट  रखी  थी। हवा  में गलन  थी। गत -दिवसो में उत्तराखंड। हिमाचल ,व जम्मू -कशमीर  की  पहड़ियों  में हुए  हिमपात  का  असर यहाँ  महसूस हो रहा था। सूर्य -देव  का दूर -दूर  तक  पता नही था। लगता है आज रवि को रविवार  होने के कारण ,अपने  कार्य को प्रारम्भ  करने  की  शीघ्रता  नही  थी। चिड़ियों  का चहकना  कर्ण  प्रिय  लग रहा  था।

वैसे  तो पार्क  में श्वान  ले  जाना  प्रतिबंदित  था। जैसा कि पार्क के नियम   वाले  नोटिस बोर्ड  में लिखा  था। परन्तु पाँच -छै  की सख्या  में आवारा  कुत्ते पार्क  में टहल रहे थे। लगता है मानव  की देखा -देखी  वह  भी अपना स्वास्थ  उत्तम  बनाये  रखने  का प्रयास  कर  रहे  हो। इस  मौसम  में श्वान  जाति  अपनी संख्या  व कुल  को बढ़ाने  का अभियान  चलाते  है। एक मादा श्वान के  पीछे कई हट्टे -कट्टे  नर श्वान  दौड  लगा रहे थे। एक  दूसरे को भाॊकते -काटते  अपना  दावा मजबूत  करने की कोशिस  कर रहे थे। अन्त  में कालू नाम के कुत्ते  को सफलता मिली। चितकबरी नाम की मादा के  साथ  बासो  की झुरमुट  में चले  गये।


लालू व भूरा नाम के कुत्ते  पॉर्क  के बाहर कि ओर चले गए। बाहर फुटपाथ  पर मैडम  रोज़ी नाम की  मादा स्वान  जो अपने  मालिक के साथ  दैनिक क्रिया  से निर्वत  होने  आई  थी। उसे  देख  कर पहले  भूरा  भौका ,उसने अपने  मर्द होने  का परिचय दिया। लालू कुछ  सुघते हुये  रोजी के आगे -पीछे घूमने  लगा। रोज़ी के मालिक ने जंजीर  को अपनी ओर खीचा। उच्च -कुलीन  घराने  की कन्या  और सड़क छाप देसी  कुत्ते  का कया  मेल। सामंती  समाज के प्रतीक  रोज़ी के मालिक  को यह  नागवार  गुजरा कि एक देसी  कुत्ता  उसकी विदेशी  राजकुमारी  से मेल -जोल बढ़ाये। उन्होंने  एक स्टिक  से लालू  पर प्रहार करते हुऐ एक ओर बढ़  गए। लालू  और भूरा काफी  दूर तक भौकते रहे। एक  सीमा के बाद वे  लौट कर अपनी एरिया  में वापस आ  गए।

कुत्तों   में यह व्वयस्था  है कि कोई  किसी केछेत्र  में  अतिक्रमण  नही  करता। यदि करता है  तो  मौखिक युद्ध प्रारम्भ  हो  जाता है। -कभी  नोच -खसोट  भी  हो जाती है। कटा -कुटी  में कई  बार  घायल  भी  हो  जाते है। लौटते  समय  भूरा  ने  लालू  से  कहा कि ये  पालतू  स्वान  तो  गुलाम  है। मालिक के इशारों  पर नाचना होता  है। न  घूमने  की आजादी  न  ही  किसी  से  मिलाने की अनुमति। इनके  मालिक  ही  तय  करेंगे कि  किस  जाति के  कुलीन  घराने  के स्वान  से  इनका  मेल  हो। लालू  ने  हामी भरते हुए कहा कि यह  तो  तुम  ठीक  कह  रहे  हो। पर एक  बात  है इनके  मालिक उनकी सुविधा  का पूरा  ध्यान  रखते है। देखा नही ,हम  तुम  शीत में ठिठुरते  है। रोज़ी ने ऊनी स्वेटर  पहन  रखा है। हम  लोग सड़क के  किनारे ,दूकानो  के नीचे  दुबक  कर  रात  गुजारते है। दूसरी  ओर रोज़ी  जैसी अन्य  पालतू श्वान  गरम कमरो  में सोते  है। सुख -सुविधा  चाहे  जितनी  मिले लेकिन  हम लोगों की सी  आजादी  बिलकुल  नही  है। हम  जिसके  ऊपर  चाहते  है ,भौकते है। विचारों  की अभिवक्ति की  आज़ादी  तो है। चाहे  पेट  भूखा  रहे।

उधर  से एक बड़े -बड़े  बालों  वाला  भालू  की  तरह झूमते  हुऐ  विलियम  नाम  का स्वान  अपने  मालिक  के नौकर या कह  लो अपने रख वाले शयाम  के साथ  सड़क  के  किनारे  फुटपाथ  पर हवा -खोरी  के लिये  आया  था। लालू  और  भूरा  ने पहले  भभकी  में लेना  चाहा  पर उसकी  शेर  सी  गुराहट  सुनकर ,पूछ को अपनी  पिछली दोनों  टांगो के बीच दबा कर ,आदर -पूर्वक  कहा कि  विलयम  दादा  राम -राम। खुश  रहो ,आबाद रहो . विलियम  दादा  ने आशीर्वाद  देते  हुये  कहा कि  आज कल तुम लोग  कुछ  ज्यादा ही  दुबले हो  गए  हो। उदासी से भर  कर लालू ने कहा हा  दादा आज कल  मॅहगाई  के  कारण  लोग खाने  का सामान कम  से कम  फेकते है। यहाँ तक  गली के  किनारे वाला करीम  कसाई भी छीछड़े  कम ही फेकता है। पता नही कया  करता है। दो दिन से एक  निवाला  भी मुँह  में नहीं गया है।

यह तो सच है मॅहगाई  का असर  हमारे  मालिक पर भी पड़ा है। सौ रुपए  किलो प्याज  और महगां  गोशत। पहले  रोज ही  तर  मॉल  खाने को  मिलता था। अब  एक दिन छोड़  कर मांस  मिल  पाता है। दूध -ब्रेड  से  काम चलाना  पड़ता है। विलयम ने अफ़सोस  जाहिर  करते हुए कहा। लालू ने कहा विलयम  दादा  तुम्हीं  ठीक हो कुछ नही  तो  दूध -ब्रेड तो पा जाते हो। हमारे मोहल्ले के रामदीन  लोहार के बच्चे तो भूखे  पेट  पाठशाला  जाते है। दूध -ब्रेड तो क्या  सुखी रोटी नमक भी नसीब में नहीं  होता। यही तो नसीब  अपना -
अपना

तभी कुछ दूर से चितकबरा  दुम उची  किए आ  पहुँचा। क्या  बात है बड़े चौड़े  होकर चल रहे हो --लालू  ने  पूछा। क्या  बताए  काका हम  मोदी की रैली  में गये थे। दस रूपये  का टिकट ख़रीदा था। आजकल तो  मोदी कुछ अधिक ही भौक रहा है यानिकी जोरदार भाषण  झाड़ रहा है। कहत है कि गाँव -गाँव  से  लोहा इक्ठा  करके ,सरदार पटेल की प्रतिमा बनवायेगा और कहत है कि हमें किसान का औजार  चाहिये। अब भला  बताओ अगर  किसान  अपने औजार  दे देगा तो वह अपना काम  कैसे  करेगा। --चितकबरा  ने सूचना  देते  हुए कहा।

भूरा बोला  कुछ भी कहो। काग्रेस  के राज में  महगाई और भ्रस्टाचार  तो बहुत बढ़  गया है। अभी कुछ दिन पहले आवारा कुत्ता पकड़ने वाला दल आया था। हमका  पकड़  लिहिन। हम चुपके से उनकी मुट्ठी गर्म  किया  तो कुछ दूर ले  जाके छोड़  दिया। का बताई आदमी तो आदमी  लोग कुत्ते को भी नही छोड़ते  है। एक  केजरीवाल भाई है उन्होंने एक "आप " पार्टी  बनाई है। वह कहते है कि हम जनता का शासन लायेंगे। भ्रस्टाचार मुक्त प्रशसान होगा। वैसे  राहुल भईया मेहनत तो बहुत करत है पर मोदी के सामने जमत  नही है। मोदी शेर है ,तो राहुल ;;;;;;;;;;;;;;;

चितकबरा  ने कहा कि गुजरात में मोदी कि सत्ता है। वहाँ  भी कूकुर  समाज की दशा  शेष  देश  जैसी ही  है। हम काहे  मोदी  का समर्थन करे। उनकी तो उछल -कूद  तो बस कोई तरह प्रधान मंत्री  बन जाई। बुजुर्ग लाल किशन  आडवाडी  बेचारे अपना नम्बर आवे के इंतज़ार मा  बूढ़े हो गये। दिल्ली  अभी  दूर लागत है। अरे दिल्ली का नाम लेकर हमको शीला दीछित की याद आ गई। उनका पालतू कुत्ता हमको स्टेसन  पर मिला था। बड़ी शान थी उसकी कई सुरछा गार्ड उसके आगे -पीछे थे। आम आदमी लुटा जा रहा है। खून -खराबा होता है आतंक वादी कारनामे करते है। औरतों  की इज्ज्त  लुटी  जाती है। उनका का सरोकार  बस उनके  कुत्ते सुरछित  रहे। आम -आदमी की सुरछा  राम भरोसे।

अब तक कालू भी चितकबरी से रोमांस  फ़रमाने के बाद इस सभा में सम्म्लित  हो गया  उसने  कहा कि अभी  तुम  लोग आम -आदमी  की बात कर  रहे थे। दिल्ली  विधान -सभा के चुनाव में किसी दल को बहुमत नही मिला  है। भा ० जा ० पा ० ने सरकार बनाने से मना कर दिया है। उप राजयपाल  ने "आप "पार्टी को सरकार बनाने को कहा है। कॉग्रेस ने बिना मागे अपना समर्थन  आप पार्टी को दे दिया। केजरीवाल ने कहा पहले हमारी १८ मुद्दे पर अपजिन्दाबाद नी सहमति जाहिर करो। हम  जनता से पूछ कर सरकार  बनायेगे। देखो क्या होता है। अगर समय से सरकार नही बनेंगी तो दुबारा चुनाव होंगे। अरबों रुपया फिर खर्च होगा। कौन होगा  ज़िम्मेदार।

 अब हमलोग भी एक अंतर -राष्टीय कुत्ता पार्टी  बनायगे ---जोश में आते हुऐ कालू ने  कहा। समस्त देशो के कुत्तो  को एकजुट करेगे। दुनिया के कुत्तो एक हो -एक हो  का नारा बुलंद किया। सारे कुत्ते भौकने  लगे। हम अपने अधिकारो  के लिये संघर्ष  करेंगे। अरे यह कहा हो सकता है --निराश होते हुये भूरे ने कहा। कयो  नही हो सकता है। लोक तन्त्र  में सबको अधिकार है। जब स्वामी रामदेव "स्वाभिमान पार्टी बना सकते है। महा -भोगी
नारायण साई जब "अभुदय पार्टी बना सकते है चाहे जेल में हो तब हम क्यों नही बनासकते  है। ---कालू  ने ललकारते हुये कहा हमारा स्वान संघ --जिन्दाबाद ---------जिन्दाबाद। 

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