कभी – कभी आतंक कपि कुल
का
मनुज को कुछ ज्यादा ही
सताता है |
पूर्वज मनुज के कपि,मनुज की ही तरह
धीरे से द्वार मनुज के थपथपाते
है |
खुला द्वार पा कर चतुर चपलता से
खाद्य सामग्री,अपनी समझ उठा
ले जाते है |
पालतू स्वान चोक्स हो कपि
कुल को
दोडते,धमकाते,भागते धमाचोकड़ी
मचाते है |”-----------------दिनेश
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