मिला न
कोई ठोर
“गहन जंगलो में आग से,
धुन्ध छायी
चारों ओर|
व्याकुल नर –नारी पशु –पझी.
संकट छाया
घोर |
भागते है सभी प्राणी ग्रीष्म मे,
छाया पाने
की ओर|
सुलगती है चहु
ओर धरा
मिला न कोई
ठोर |”------------------------दिनेश
आज दिनांक ९ जून २०१५ दिन
मंगलवार \ आषाढ़ मा
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