" आपकी बेटी हो अगला शिकार ************
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हम कैसे सभ्य समाज में,
किस तरह रहते है,
यह कैसा है इन्सानी समाज।
दरिन्दे कामुक भेड़िये टूट पड़ते है,
तार -तार कर देते है,
नारी की अस्मात।
चूनर इज्जत की हम दे नही पाते,
नग्न देह को रहता है,
कफ़न का इन्तजार।
घरो में भी सताई जाती घर की बेटियाँ,
अनसुनी रह जाती है उनकी पुकार।
अज़ब हाल हो रहा है,. मेरे देश का,
हर आधे घण्टे में,
बेटियों का हो रहा है बलात्कार।
अभी भी वक़्त है,
उठ खड़े हो एक साथ,हो सकती है,
आपकी बेटी हो अगला शिकार।
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हम कैसे सभ्य समाज में,
किस तरह रहते है,
यह कैसा है इन्सानी समाज।
दरिन्दे कामुक भेड़िये टूट पड़ते है,
तार -तार कर देते है,
नारी की अस्मात।
चूनर इज्जत की हम दे नही पाते,
नग्न देह को रहता है,
कफ़न का इन्तजार।
घरो में भी सताई जाती घर की बेटियाँ,
अनसुनी रह जाती है उनकी पुकार।
अज़ब हाल हो रहा है,. मेरे देश का,
हर आधे घण्टे में,
बेटियों का हो रहा है बलात्कार।
अभी भी वक़्त है,
उठ खड़े हो एक साथ,हो सकती है,
आपकी बेटी हो अगला शिकार।
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