ग़रीब बिना मौत ***********
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रहिये दूर ही,जाति -धर्म की राजनीति से,
इससे सिर्फ़ और सिर्फ़ दिल ही टूटते है।
नफरत सी फैल जाती है खुश्नुमा जहाँन में,
भाई -भाई से दुश्मनागी निकालते है।
.
भाईचारे का जनाज़ा निकलता है ऐसे में,
ज़िन्दगी जिन्दादिली से महरुम रह जाती है।
कौमी दंगो से आज तलक सर सब्ज़ नही
हुई है कोई भी कौम,
ग़रीब बिना मौत के मारे जाते है।
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रहिये दूर ही,जाति -धर्म की राजनीति से,
इससे सिर्फ़ और सिर्फ़ दिल ही टूटते है।
नफरत सी फैल जाती है खुश्नुमा जहाँन में,
भाई -भाई से दुश्मनागी निकालते है।
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भाईचारे का जनाज़ा निकलता है ऐसे में,
ज़िन्दगी जिन्दादिली से महरुम रह जाती है।
कौमी दंगो से आज तलक सर सब्ज़ नही
हुई है कोई भी कौम,
ग़रीब बिना मौत के मारे जाते है।
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