Sunday, August 3, 2014

वे अंधेरे दिन ********* =======================

                                          वे  अंधेरे  दिन *********
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"वे अँधेरे दिन " की लेखिका,
मोहितरमा  तसलीम  नसरीन को मिला,
दस  वर्षीय  रेजीडेन्ट  का वीज़ा।
हुये  उनके  दूर "अँधेरे दिन ,
स्वीकार हुयी लम्बे समय,
बाद  उनकी इल्तिज़ा।

वर्ष उन्नीस सौ बाणवे  को,
प्रकाशित हुई थी "लज्जा "
तब से देश बदर कर दी गयी,
तय हुई थी उनकी यही सज़ा।

हम तो लोक तन्त्र वादी  है,
हमारे यहाँ सब तरह  की आज़ादी  है,
पर यहाँ भी कटटमुल्लाओ के चलते,
बदली -बदली थी फ़िजा।

मुस्लिम वोटो  के खातिर,
शासन पूरी तरह न कर सका था स्वागत,
कई राते व् कई दिन  उन्होंने  बिताये थे,
अंधेरो में  अागत।

कौन जतन करता है ,उजालों के लिए
सच  कहने की  वहाँ इजाजत  नही। 

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