ढलते हुए विदा होते सूरज के साथ ***********
=====================================
ढलते हुए,विदा होते सूरज के साथ,
मयखाने गुलजार होते है।
जाम से जाम खुले आम टकराने के साथ,
खयलो में वो हमराज होते है।
तरंगे उठके आती है,विचारों के आने के साथ,
हम उनसे दो -चार होते है।
सुलझ जाती है न जाने कितनी उलझने,
जब वो सुरूर के साथ होते है।
दुश्मनी भी बदल जाती है दोस्ती में,
जब जाम के साथ जाम होते है।
दूरियाँ तो बदल जाती है नज़दीकियों
जब हम उनके साथ होते है।
=====================================
ढलते हुए,विदा होते सूरज के साथ,
मयखाने गुलजार होते है।
जाम से जाम खुले आम टकराने के साथ,
खयलो में वो हमराज होते है।
तरंगे उठके आती है,विचारों के आने के साथ,
हम उनसे दो -चार होते है।
सुलझ जाती है न जाने कितनी उलझने,
जब वो सुरूर के साथ होते है।
दुश्मनी भी बदल जाती है दोस्ती में,
जब जाम के साथ जाम होते है।
दूरियाँ तो बदल जाती है नज़दीकियों
जब हम उनके साथ होते है।
No comments:
Post a Comment