बेटियाँ ************
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बेटी बचाओ,देश बचाओं,
बेटी पढ़ाव देश को आगे ले जाओ।
ये सब सरकारी नारे है।
फ़टे पोस्टर उड़ते फिरते,
गली में मारे -मारे है।
आज भी कूड़े के ढेर में,
फेक दे जाती नवजात मुस्काने है।
इन्सान क्या इतना बेरहम हो सकता
निज सन्तान को फेंक दे,
सड़कों के किनारे है।
पूछती है नवजात किलकारी,
भर कर क्यों जन्म दे के फेंक दिया
हम तो केवल तुम्हारे सहारे है।
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बेटी बचाओ,देश बचाओं,
बेटी पढ़ाव देश को आगे ले जाओ।
ये सब सरकारी नारे है।
फ़टे पोस्टर उड़ते फिरते,
गली में मारे -मारे है।
आज भी कूड़े के ढेर में,
फेक दे जाती नवजात मुस्काने है।
इन्सान क्या इतना बेरहम हो सकता
निज सन्तान को फेंक दे,
सड़कों के किनारे है।
पूछती है नवजात किलकारी,
भर कर क्यों जन्म दे के फेंक दिया
हम तो केवल तुम्हारे सहारे है।
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